SRINIVASA RAMANUJAN
Srinivasa Ramanujan, born on December 22, 1887, in Erode, Tamil Nadu, India, was a self-taught mathematical genius who made substantial contributions to number theory, mathematical analysis, infinite series, and continued fractions. Here's a brief overview of his life and achievements:
1. **Early Life and Education:**
- Ramanujan showed an early aptitude for mathematics and developed a deep interest in the subject.
- His formal education was limited, but he independently studied advanced mathematical texts and made significant discoveries on his own.
2. **Correspondence with G.H. Hardy:**
- In 1913, Ramanujan wrote a letter to the renowned British mathematician G.H. Hardy, sharing some of his mathematical results.
- Hardy recognized Ramanujan's extraordinary talent and invited him to Cambridge University.
3. **Contributions to Mathematics:**
- Ramanujan made groundbreaking contributions to areas such as mock theta functions, elliptic functions, and the partition function.
- His work in infinite series and continued fractions provided new insights and solutions to longstanding mathematical problems.
4. **Hardy-Ramanujan Asymptotic Formula:**
- Ramanujan collaborated with G.H. Hardy on several papers, including the discovery of the famous Hardy-Ramanujan asymptotic formula for the prime-counting function.
5. **Return to India and Later Years:**
- Ramanujan returned to India in 1919 due to health issues.
- He continued to work on mathematical problems but faced challenges in maintaining his health.
6. **Awards and Recognition:**
- Ramanujan was elected a Fellow of the Royal Society in 1918.
- Despite his relatively short life, his contributions to mathematics earned him recognition, and his legacy continues to influence the field.
7. **Legacy:**
- Srinivasa Ramanujan's work laid the foundation for various branches of mathematics.
- The "Ramanujan-Hardy Number" (1729) is famous for being the smallest positive integer expressible as the sum of two cubes in two different ways, inspiring the term "taxicab number."
Srinivasa Ramanujan passed away on April 26, 1920, at the age of 32. His life and work remain an inspiration for mathematicians worldwide, and the story of his collaboration with G.H. Hardy is well-known in the history of mathematics.
HINDI VIEWERS
श्रीनिवास रामानुजन, जिनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को इरोड, तमिलनाडु, भारत में हुआ था, एक स्व-सिखाया गणितीय प्रतिभा थे, जिन्होंने संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला और निरंतर भिन्नों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहां उनके जीवन और उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
1. **प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:**
- रामानुजन ने गणित के प्रति प्रारंभिक योग्यता दिखाई और इस विषय में गहरी रुचि विकसित की।
- उनकी औपचारिक शिक्षा सीमित थी, लेकिन उन्होंने स्वतंत्र रूप से उन्नत गणितीय ग्रंथों का अध्ययन किया और अपने दम पर महत्वपूर्ण खोजें कीं।
2. **जी.एच. के साथ पत्राचार। हार्डी:**
- 1913 में रामानुजन ने प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ जी.एच. को एक पत्र लिखा। हार्डी, अपने कुछ गणितीय परिणाम साझा कर रहे हैं।
- हार्डी ने रामानुजन की असाधारण प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आमंत्रित किया।
3. **गणित में योगदान:**
- रामानुजन ने मॉक थीटा फ़ंक्शन, एलिप्टिक फ़ंक्शन और विभाजन फ़ंक्शन जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान दिया।
- अनंत श्रृंखला और निरंतर भिन्नों में उनके काम ने लंबे समय से चली आ रही गणितीय समस्याओं के लिए नई अंतर्दृष्टि और समाधान प्रदान किए।
4. **हार्डी-रामानुजन एसिम्प्टोटिक फॉर्मूला:**
- रामानुजन ने जी.एच. के साथ सहयोग किया। प्राइम-काउंटिंग फ़ंक्शन के लिए प्रसिद्ध हार्डी-रामानुजन एसिम्प्टोटिक सूत्र की खोज सहित कई कागजात पर हार्डी।
5. **भारत और बाद के वर्षों में वापसी:**
- रामानुजन 1919 में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भारत लौट आए।
- उन्होंने गणितीय समस्याओं पर काम करना जारी रखा लेकिन अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
6. **पुरस्कार और मान्यता:**
- रामानुजन को 1918 में रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया।
- उनके अपेक्षाकृत छोटे जीवन के बावजूद, गणित में उनके योगदान ने उन्हें पहचान दिलाई, और उनकी विरासत इस क्षेत्र को प्रभावित करती रही है।
7. **विरासत:**
- श्रीनिवास रामानुजन के कार्य ने गणित की विभिन्न शाखाओं की नींव रखी।
- "रामानुजन-हार्डी नंबर" (1729) दो घनों के योग के रूप में दो अलग-अलग तरीकों से अभिव्यक्त होने वाले सबसे छोटे सकारात्मक पूर्णांक होने के लिए प्रसिद्ध है, जो "टैक्सीकैब नंबर" शब्द को प्रेरित करता है।
श्रीनिवास रामानुजन का 26 अप्रैल, 1920 को 32 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जीवन और कार्य दुनिया भर के गणितज्ञों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं, और जी.एच. के साथ उनके सहयोग की कहानी। गणित के इतिहास में हार्डी सुविख्यात हैं।
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