SIR JAGADISH CHANDRA BOSE

Sir Jagadish Chandra Bose, born on November 30, 1858, in Mymensingh (now in Bangladesh), was a polymath who made significant contributions to physics, biology, and literature. Here's a brief overview of his life and achievements:



1. **Education and Early Career:**
   - Bose studied natural sciences at Cambridge University, where he earned a B.A. from Christ's College in 1884.
   - He pursued further studies in the field of physics.

2. **Contributions to Physics:**
   - Bose is best known for his work in the field of electromagnetism and radio waves.
   - In 1895, he demonstrated the generation of radio waves, anticipating the later development of radio communication.
   - He introduced the "millimeter waves" and made significant advances in the development of wireless telegraphy.

3. **Crescograph and Plant Physiology:**
   - Bose extended his scientific inquiries to biology and plant physiology.
   - He invented the crescograph, a device that measures plant growth and responses to various stimuli.
   - Bose's research on plant stimuli and the electro-mechanical responses of plants were pioneering in the field of plant biology.

4. **Literary Contributions:**
   - In addition to his scientific pursuits, Jagadish Chandra Bose was a writer and poet. He wrote in both Bengali and English.
   - His notable works include "Niruddesher Kahini" and "Abhishar."

5. **Recognition:**
   - Despite facing some discrimination due to his Indian heritage, Bose's work gained international recognition.
   - He was elected Fellow of the Royal Society in 1920.

6. **Legacy:**
   - Bose's contributions to physics, particularly in the field of radio waves, laid the foundation for later developments in wireless communication.
   - His research in plant physiology also made significant contributions to the understanding of plant responses to external stimuli.

Jagadish Chandra Bose passed away on November 23, 1937. His work continues to be celebrated for its interdisciplinary nature and pioneering contributions to both physics and biology.

HINDI VIEWERS

सर जगदीश चंद्र बोस, जिनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को मैमनसिंह (अब बांग्लादेश में) में हुआ था, एक बहुज्ञ थे जिन्होंने भौतिकी, जीव विज्ञान और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहां उनके जीवन और उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

 1. **शिक्षा और प्रारंभिक कैरियर:**
    - बोस ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन किया, जहां उन्होंने बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। 1884 में क्राइस्ट कॉलेज से।
    - उन्होंने आगे की पढ़ाई फिजिक्स के क्षेत्र में की।

 2. **भौतिकी में योगदान:**
    - बोस को विद्युत चुंबकत्व और रेडियो तरंगों के क्षेत्र में उनके काम के लिए जाना जाता है।
    - 1895 में, उन्होंने रेडियो संचार के बाद के विकास की आशा करते हुए, रेडियो तरंगों की पीढ़ी का प्रदर्शन किया।
    - उन्होंने "मिलीमीटर तरंगों" की शुरुआत की और वायरलेस टेलीग्राफी के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की।

 3. **क्रेस्कोग्राफ और प्लांट फिजियोलॉजी:**
    - बोस ने अपनी वैज्ञानिक खोज को जीव विज्ञान और पादप शरीर क्रिया विज्ञान तक बढ़ाया।
    - उन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया, एक उपकरण जो पौधों की वृद्धि और विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को मापता है।
    - पौधों की उत्तेजनाओं और पौधों की विद्युत-यांत्रिक प्रतिक्रियाओं पर बोस का शोध पादप जीव विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी था।

 4. **साहित्यिक योगदान:**
    - अपनी वैज्ञानिक गतिविधियों के अलावा, जगदीश चंद्र बोस एक लेखक और कवि थे। उन्होंने बांग्ला और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखा।
    - उनकी उल्लेखनीय कृतियों में "निरुद्देशेर कहिनी" और "अभिशार" शामिल हैं।

 5. **पहचान:**
    - अपनी भारतीय विरासत के कारण कुछ भेदभाव का सामना करने के बावजूद, बोस के काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
    - 1920 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया।

 6. **विरासत:**
    - भौतिकी में बोस के योगदान, विशेष रूप से रेडियो तरंगों के क्षेत्र में, ने वायरलेस संचार में बाद के विकास की नींव रखी।
    - पादप शरीर क्रिया विज्ञान में उनके शोध ने बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति पौधों की प्रतिक्रियाओं को समझने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

 23 नवंबर, 1937 को जगदीश चंद्र बोस का निधन हो गया। उनका काम अपनी अंतःविषय प्रकृति और भौतिकी और जीव विज्ञान दोनों में अग्रणी योगदान के लिए मनाया जाता है।



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